राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (संशोधित) – 2022-2026

हमारे बारे में - आरजीएसए

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार की एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है, जिसे 13 अप्रैल 2022 को स्वीकृति दी गई और यह 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 तक क्रियान्वयन के लिए लागू है। यह योजना पंद्रहवें वित्त आयोग की अवधि के साथ सहसमाप्त है।

संशोधित RGSA का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त, उत्तरदायी और सक्षम बनाना है ताकि वे स्थानीय स्वशासन के प्रभावी केंद्र के रूप में उभर सकें और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में अहम भूमिका निभा सकें।

यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों की सहभागिता के साथ Whole of Government Approach को अपनाते हुए कार्यान्वित की जा रही है ताकि समन्वित और सहभागी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

योजना के अंतर्गत पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को चुनाव के 6 माह के भीतर प्रारम्भिक प्रशिक्षण और 2 वर्षों के भीतर रिफ्रेशर प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है।

वित्तीय हिस्सेदारी की दृष्टि से राज्य घटक के लिए केंद्र और राज्य का योगदान सामान्यतः 60:40 के अनुपात में होता है। उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए यह अनुपात 90:10 है यद्यपि अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में पूरा व्यय केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

(संशोधित) राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के लक्ष्य :
  • पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की शासन क्षमता को विकसित करना ताकि वे सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में प्रभावी भूमिका निभा सकें।
  • ग्राम पंचायतों को सरकार की तृतीय इकाई के रूप में प्रभावी कार्य करने हेतु निर्वाचित प्रतिनिधियों की नेतृत्व क्षमता का विकास करना।
  • पंचायतों की समावेशी स्थानीय शासन प्रणाली में क्षमता बढ़ाना, संसाधनों के अधिकतम उपयोग और अन्य योजनाओं के साथ समन्वय के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के समाधान को सुनिश्चित करना।
  • पंचायतों की स्ववित्तीय संसाधन जुटाने की क्षमता का सुदृढ़ीकरण करना।
  • ग्राम सभाओं को पंचायत प्रणाली के अंतर्गत जन-भागीदारी के बुनियादी मंच के रूप में प्रभावी रूप से कार्य करने हेतु सशक्त बनाना।
  • संविधान की मूल भावना और पेसा अधिनियम, 1996 के अनुसार पंचायतों को अधिकार और जिम्मेदारियाँ सौंपने को बढ़ावा देना
  • पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की क्षमता विकास हेतु विभिन्न स्तरों पर संस्थाओं को सुदृढ़ करना, उपलब्ध प्रशिक्षण अवसंरचना के कुशल उपयोग के लिए अन्य विभागों एवं हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करना ताकि आधारभूत सुविधाओं, मानव संसाधनों तथा परिणाम-आधारित प्रशिक्षण में गुणवत्तापूर्ण मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।
  • पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की क्षमता वृद्धि एवं सहयोगात्मक मार्गदर्शन हेतु शैक्षणिक संस्थानों / उत्कृष्टता संस्थानों के साथ साझेदारी स्थापित करना।
  • पंचायतों में प्रशासनिक दक्षता, सेवा वितरण की गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने हेतु ई-गवर्नेंस तथा अन्य प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना।
  • PRIs द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति की दिशा में किए गए प्रभावी कार्यों को मान्यता देकर उन्हें प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित मूल्यांकन और नीतिगत निर्णयों के लिए अनुसंधान अध्ययनों को अपनाते हुए क्रियात्मक अनुसंधान एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम से पंचायतों की क्षमताओं को मजबूत करना ताकि विविध लक्षित समूहों तक प्रभावी रूप से पहुँचा जा सके।
  • स्थानीय शासन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संगठनों एवं विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से जानकारी और विचारों का आदान-प्रदान।