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पर्याप्त जलापूर्ति वाली पंचायत

परिचय
पर्याप्त जलापूर्ति वाली पंचायत का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित, सतत और पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराना है। यह थीम SDG 6 : स्वच्छ जल और स्वच्छता से सीधे जुड़ी है और जल के स्रोतों का संरक्षण, पेयजल की गुणवत्ता, ग्रे-वॉटर प्रबंधन, वर्षा जल संचयन और जल सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।
यह पंचायत स्तर पर जल संसाधनों के सतत प्रबंधन, सामुदायिक भागीदारी और स्वच्छता के प्रति व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से समग्र ग्रामीण जल जीवन प्रणाली की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करती है।
विजन
सभी व्यक्तियों को कार्यशील पाइप जल कनेक्शन प्रदान करना, गुणवत्तायुक्त पेयजल की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना, जल का कुशल प्रबंधन करना तथा कृषि संबंधी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक जल-सुरक्षित पंचायत का निर्माण करना।
स्थानीय लक्ष्य व टारगेट
- प्रत्येक परिवार को पर्याप्त, सुरक्षित और पीने योग्य जल की सुविधा उपलब्ध कराना।
- व्यक्तिगत शौचालय का 100% उपयोग सुनिश्चित करना।
- खुले में शौच से पूर्ण मुक्ति प्राप्त करना और उसे स्थायी बनाए रखना।
- भूजल संरक्षण, आर्सेनिक/फ्लोराइड संदूषण की रोकथाम तथा वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना।
- ग्रे-वॉटर (गंदा पानी) के सुरक्षित निष्कासन और पुन: उपयोग के लिए तंत्र विकसित करना।
- सभी स्कूलों, आंगनवाड़ियों और सार्वजनिक स्थलों में स्वच्छ और कार्यशील शौचालय की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- जल निकायों और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना।
ग्राम पंचायतों की भूमिका
- ग्रामीण परिवारों को जल एवं स्वच्छता सुविधाओं के उपयोग और प्रबंधन के प्रति जागरूक करना।
- विद्यालयों व आंगनवाड़ियों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग व क्रियाशील शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- सार्वजनिक स्थलों पर शौचालयों का रख-रखाव और स्वच्छता सुनिश्चित करना।
- मैजिक पिट, किचन गार्डनिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से ग्रे-वॉटर प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- जल विश्लेषण, आपूर्ति और गुणवत्ता परीक्षण के लिए संबंधित विभागों से समन्वय।
- समिति गठन कर संचालन और रख-रखाव की ज़िम्मेदारी सामुदायिक स्तर पर तय करना।
- आधुनिक सिंचाई प्रणालियों और जल उपयोग तकनीकों को प्रोत्साहन देना।
- जल निकायों की निगरानी और संरक्षण की स्थानीय व्यवस्था बनाना।
कम लागत / बिना लागत की गतिविधियाँ
- जल स्रोतों का मानचित्रण और पहचान।
- जल के नमूनों का परीक्षण हेतु संग्रहण और विश्लेषण।
- जागरूकता अभियान, दीवार लेखन और रैली का आयोजन।
- प्रत्येक परिवार में पेयजल की पर्याप्तता की निगरानी।
- जल उपभोग शुल्क एकत्र कर मरम्मत एवं रख-रखाव के लिए निधि बनाना।
- वर्षा जल संचयन, मैजिक पिट, और किचन गार्डनिंग जैसी विधियों को ग्रामीणों में बढ़ावा देना।
संसाधन स्रोत
- जल जीवन मिशन
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी)
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
- महिलाओं के संरक्षण और अधिकारिकता हेतु मिशन
- राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम (एनआरसीपी)
- नदी घाटी प्रबंधन
- राष्ट्रीय गंगा योजना और घाट कार्य
- राष्ट्रीय जल मिशन
- नदियों को आपस में जोड़ना
- बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम
- एमजीएनआरईजीए
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)
- जल संसाधन सूचना प्रणाली का विकास
- भूजल प्रबंधन और विनियमन
- राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना
- प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण
- पर्यावरण नीति, योजना और परिणाम मूल्यांकन के लिये निर्णय समर्थन
- रुर्बन
मुख्य उद्देश्य
- ग्रामीण क्षेत्रों में सतत और सुरक्षित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- 100% व्यक्तिगत शौचालय उपयोग और खुले में शौच से मुक्ति बनाए रखना।
- जल स्रोतों का संरक्षण, भूजल पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहन।
- गंदे पानी के निपटान एवं पुनः उपयोग की व्यवस्था करना।
- सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय एवं जल स्रोतों का संचालन और रख-रखाव।
- जल और स्वच्छता के मुद्दों पर सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना।
- पंचायत को जल संरक्षण केंद्रित प्रशासनिक इकाई के रूप में सशक्त बनाना।




