गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका वाली पंचायत

परिचय
गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजीविका वाली पंचायत का मूल उद्देश्य ऐसे ग्राम समुदायों का निर्माण करना है जहाँ कोई भी व्यक्ति अभाव, भुखमरी या बेरोजगारी की स्थिति में न रहे। यह थीम सतत विकास लक्ष्य (SDG) 1 – “No Poverty” से सीधे जुड़ी है और इसका उद्देश्य गरीबी के सभी रूपों को जड़ से समाप्त करना तथा प्रत्येक ग्रामीण परिवार को स्थायी, सम्मानजनक और सुरक्षित आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है।
इस थीम के अंतर्गत पंचायतें आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित परिवारों की पहचान करेंगी। साथ ही उन्हें सरकारी योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास और स्वरोजगार से जोड़ने में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगी। थीम का मुख्य फोकस ग्रामीण जन-जीवन में सामाजिक न्याय, आर्थिक भागीदारी और वित्तीय समावेशन के माध्यम से समावेशी और आत्मनिर्भर ग्राम पंचायतों का विकास करना है।
यह पहल ग्रामीण भारत को गरीबी मुक्त बनाकर एक ऐसी दिशा में ले जाती है जहाँ हर व्यक्ति को पर्याप्त भोजन, आवास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका के साधन मिल सकें, जिससे ग्राम स्वराज और सशक्त भारत के लक्ष्य को साकार किया जा सके।
विजन
ऐसी पंचायत जो गरीबी से मुक्त हो, जहाँ हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा मिले और कोई भी दोबारा गरीबी में न जाए। ऐसी पंचायत जहाँ सभी के लिए आजीविका के बेहतर अवसर हों और समृद्धि सुनिश्चित हो।
स्थानीय लक्ष्य व टारगेट
- सभी पात्र परिवारों को आजीविका और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना (PDS, ICDS आदि)।
- व्यक्तिगत और सामूहिक उद्यमों के माध्यम से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन।
- गरीब और कमजोर वर्गों को पूरे वर्ष रियायती दरों पर पर्याप्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना।
- किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना।
- आवास, पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना।
- मनरेगा के माध्यम से मजदूरी आधारित रोजगार देकर गरीबी में कमी लाना।
ग्राम पंचायतों की भूमिका
- SECC/MA डेटा के आधार पर गरीब और अनेक तरह की जरूरतों से वंचित परिवारों की पहचान करना।
- जॉब कार्ड का प्रभावी वितरण।
- राशन कार्ड पंजीकरण में सहायता।
- कौशल प्रशिक्षण, स्वरोजगार और उद्यमिता के माध्यम से आय-वृद्धि।
- कृषि उत्पादकता में सुधार (सिंचाई, बेहतर बीज, जैविक खाद, KVKs का तकनीकी सहयोग)।
- SHG को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान कर सशक्त बनाना।
- बचत और ऋण (थ्रिफ्ट क्रेडिट) आधारित गतिविधियों की शुरुआत व बैंक से जोड़ने की प्रक्रिया। GPDP फंड और अन्य योजनाओं का समन्वय।
कम लागत / बिना लागत की गतिविधियाँ
- ग्राम स्तर पर स्वयं सहायता समूहों (SHG) और GP स्तर पर SHG महासंघ का गठन।
- SHG को विभिन्न मुद्दों में सहयोग देना।
- योजना आधारित प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षण स्थल की व्यवस्था।
- आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बैंक लिंकेज और ऋण सुविधा।
- उद्यमिता (Entrepreneurship) का विकास और प्रोत्साहन।
- ट्रेड रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (व्यवसाय पंजीकरण प्रमाण-पत्र) प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाकर “ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस” को बढ़ावा देना।
- उत्पादों के बेहतर मूल्य के लिए बाज़ार से जोड़ने की व्यवस्था।
- विशेष आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध संसाधनों और अधिकारियों के साथ जोड़ना।
संसाधन स्रोत
- मनरेगा
- दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP)
- मुद्रा योजना, जनधन योजना
- प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
- PMEGP, SVEP, E-Shram
- कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, पशुपालन आदि की आयवर्धक योजनाएं
- 10,000 नए एफपीओ (FPOs) का गठन
- विशेष सहायता योजना (SC/ST/OBC/अल्पसंख्यक/दिव्यांगजन हेतु)
मुख्य उद्देश्य
- ग्रामीण क्षेत्रों से गरीबी का उन्मूलन।
- रोजगार, स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा।
- SHG को सशक्त बनाना और ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देना।
- वित्तीय समावेशन और ऋण सुविधा की उपलब्धता।
- पेंशन, बीमा, राशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पहुंच।
- युवाओं और महिलाओं के लिए कौशल विकास के अवसर बढ़ाना।




